Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

गीत

“गीत” :::::::::::: हे!री सखी कैसे भेजूं , प्रिय को प्रणय निवेदन। दूर देश विदेश भय हैं वो मन का मेरे प्रिय साजन। हे! री सखी…

Responses

+

New Report

Close