ग़मे-ए-मुदाम

ग़मे-ए-मुदाम से इस कदर परेशां न हो ,
सुना है हर गम के पंख भी होते है
राजेश’अरमान’

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मनमर्ज़ियाँ

चलो थोड़ी मनमर्ज़ियाँ करते हैं पंख लगा कही उड़ आते हैं यूँ तो ज़रूरतें रास्ता रोके रखेंगी हमेशा पर उन ज़रूरतों को पीछे छोड़ थोड़ा…

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