Categories: हाइकु
rajesh arman
हर निभाने के दस्तूर क़र्ज़ है मुझ पे
गोया रसीद पे किया कोई दस्तखत हूँ मैं
राजेश'अरमान '
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याद है आज भी वो दिन जब किताब के बीच कोई फूल दबा देते थे और खाली लम्हों को उस सूखे फूल से महकाया करते…
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Good