Categories: छत्तीसगढ़ी कविता
ओमप्रकाश चंदेल
कविता, गीत, कहानी लेखन
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मोर रंग दे बसंती चोला, दाई रंग दे बसंती चोला
ये माटी के खातिर होगे, वीर नारायण बलिदानी जी। ये माटी के खातिर मिट गे , गुर बालक दास ज्ञानी जी॥ आज उही माटी ह…
थल सेना दिवस पर देशक सिपाही केर सम्मान में मिथिला केर भाव
हमर देशक सिपाही हमर शान छै। देशक रक्षा में जिनकर प्राण छै।। नञ भोजन केॅ कोनो फिकीर छै। नञ छाजन केॅ कोनो फिकीर छै।। जाड़…
आठवां अजूबा
गुवाहाटी शहर कर्फ्यू से ग्रस्त था। जहां तहां शोर मची थी। रास्ते पे इन्सान तो क्या जानवर तक चलने में कतराते थे। सारा शहर भयाक्रांत…
हमर जिनगी ल बनाये खातिर
Cमोर महतारी अऊ मोर ददा कईसन मेहनत करत हे हमर जिनगी ल बनाये खातिर अपन सरीर ल भजथे भिनसहरे ले उठ के दुनो पानी कांजी…
क्या आप राष्ट्र वादी हैं?
आज सुबह से मैं, राष्ट्रवादी खोज रहा हूँ। कौन-कौन है देशभक्त ये सोच रहा हूँ॥ सुबह-सुबह किसी ने दरवाजा खटखटाया, देखा तो कन्हैया आया। उसके…
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सुन्दर रचना
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atisundar