हंसी छीन ली

उस हसीं के चेहरे पर बस हंसी देखने की ख्वाहिश थी ,
तो उसे हंसाने में कोई कसर हमने भी ना छोड़ी
हंसाते हंसाते खुद हंसी बन गया मैं ,
की मेरे दिल की बात भी अब उसे हंसी लगने लगी
हंसी हंसी में ही उसने कह डाली अपने दिल की बात ,
पर उस बात ने मेरी हंसी छीन ली
किसी और का नाम लिखा है मेरे दिल पर
ये कह के वो सिर्फ मुस्कुराने लगी
हँसते हँसते पूछा उसने एक दिन ,
पंकज तुम अब खिलखिलाते नहीं
अब कैसे कह दूं उसे मैं
कि मैंने अपनी सारी हंसी तेरे यार के नाम कर दी …
@ पंकज गर्ग

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Responses

  1. Kisi aur ke liye khud ko mazak bnana mazak nhi,,,,
    Bahut himaat lagti hai apni kismat kisi aur ke name likh dene me,,,
    Aur vhi jigra lagta hai us pagli ko samjhane me…..
    Ki teri khushi aur apni hansi sab tere naam kar di…
    Mere har saans aur tere dhadkan tere yaar ke hawale kar dii…

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