स्वाभिमान का आवाहन

तिरंगे के नीचे शान्ती के घोष में,

मिशाले जलाली खूब हमनें!!

मान मर्यादा स्वाभिमान का आवाहन,

हाथो में बंदूके तलवारें उठाना हमकों!!

इतियास दुहरा रहा गजनी की चाल,

फिर से वगदादी दुहरा रहा हैं !!

नवयुवको का ब्रेनवास करकें वो,

भारत के ख़िलाफ़ हथियार जमा रहा हैं!!

खुले आकाश के नीचे वो ,

देशद्रोह के नारे लगवा रहा हैं !!

आंतकवादी अफजल कसाव को वो ,

शहीद कलाम पढवा रहा हैं !!

कश्मीर सरजमीं पर लहरातें,

आई ए एस के झण्डे लहरा रहा हैं !!

युवको के चहरे के पीछे वो,

देशद्रोह की शादशे खेल रहा हैं !!

देश प्रेमी के आँखो में खून उवला,

देश के गद्दारो को सरे आम झुलाना हैं !!

एक पल ठहर कर विचार कर ??

देना हैं शंतरज के खिलाङी को मात!!

चाबुक हे जिसके हाथो में वो,

उस शीष को काट गिराना हैं !!

आई ए एस घुषपेठ को हमकों ,

भारत के जङ से मिटाना हैं !!

सुनो नौ जवानो मेरे देश के बंदे,

वीर गाथायें हमसे हिसाव चाहती हैं !!

खून बहाकर क्या 2 जुल्म सहकर,

हमनें तब आज़ादी पाई थी !!

अब और कोई गजनी बगदादी ,

ईरान जैसे वगदाद न बना पायें !!

चुन चुन कर गद्दारो को देश से ,

नरक परलोक पहुँचाना हैं !!

अधर्म पर धर्म का विजय घोष बजा,

सविधान की बेङियों को खोल दो!!

देश में देशद्रोह कहने वालों को ,

सुस्ती कार्यवाई को चुस्त फ़ैसला कर दो!!

जिन हाथो में शान्ती की मिशालें,

उन हाथों में बंदूके तलवारे देखोगें !!

हर घर से देशप्रेम के बंदे,

मुख से बंदे मातरम बंदे मातरम…..

हाथों से बंदूके तलवारें वोलेगी !!!!!

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