Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: ज़िन्दगी पर कविता
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ख्वाब छोटा-सा था, बस पूरा होने मे उम्र लग गईं! उसके घर का पता मालूम था , बस उसे ढूंढने मे उम्र लग गईं !…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
शायरी संग्रह भाग 1
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कविता : वो सारे जज्बात बंट गए
गिरी इमारत कौन मर गया टूट गया पुल जाने कौन तर गया हक़ मार कर किसी का ये बताओ कौन बन गया जिहादी विचारों से…
वो यादें
वो यादें उनसे बिछड़े मुझे एक ज़माना बीत गया, याद में उनके रहते एक अफ़साना बीत गया, किताबो के पन्नें पलट गए हज़ार ज़िन्दगी के…
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