Categories: Poetry on Picture Contest
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सूखी धरती सूना आसमान
सूखी धरती सूना आसमान, सूने-सूने किसानों के अरमान, सूख गयी है डाली-डाली , खेतों में नहीं हरियाली, खग-विहग या हो माली, कर रहे घरों को…
“काशी से कश्मीर तक सद्भावना यात्रा सन1994”
“काशी से कश्मीर तक सद्भावना यात्रा सन1994” किसी भी यात्रा का उद्देश्य सिर्फ मौजमस्ती व् पिकनिक मनाना ही नहीं होता | यात्राएं इसलिए की जाती हैं…
एक सावन ऐसा भी (कहानी)
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
पंछी
जालिम हमें हमारी दिल की गुमान दे दो। रखो जमीन अपनी कुछ आसमान दे दो।। जज़्बात की ये कैंची मेरे पंख पे चलाके। पंगु बना…
उम्मीद
उम्मीद की किरण जगमग आई है, आज फिर याद मुझे तेरी ओर लाई है। जमाने की तपिश, जिम्मेदारियों का बोझ.. सहते -सहते दबी राख सुगबुगाई…
app sahi kah rahe he
shukriya ji
Nice