सूखी है जमीन

सूखी है जमीन, सूखा आसमान है
मगर उम्मीद है कायम, जब तक जान है

Related Articles

“काशी से कश्मीर तक सद्भावना यात्रा सन1994”

“काशी से कश्मीर तक सद्भावना यात्रा सन1994” किसी भी यात्रा का उद्देश्य सिर्फ मौजमस्ती व् पिकनिक मनाना ही नहीं होता | यात्राएं इसलिए की जाती हैं…

पंछी

जालिम हमें हमारी दिल की गुमान दे दो। रखो जमीन अपनी कुछ आसमान दे दो।। जज़्बात की ये कैंची मेरे पंख पे चलाके। पंगु बना…

उम्मीद

उम्मीद की किरण जगमग आई है, आज फिर याद मुझे तेरी ओर लाई है। जमाने की तपिश, जिम्मेदारियों का बोझ.. सहते -सहते दबी राख सुगबुगाई…

Responses

+

New Report

Close