सियासत

चलो अपनी असलह रूपी कलम को

बारूद से लबरेज कर लें,और दाग दें

दुश्मनों और गद्दारें के तन पर

कि शब्दों के बम रूपी गोले

लहूलुान कर दें,ध्वस्त कर दें

उनके नापाक इरादों को।

सुना है…………

शब्द हथियारों से तेज होते हैं

बारूद से ज्यादा बिस्फोटक होते हैं।

असलह बारूद सरीकी चोट पहुँचते हैं।

हम कलम धारक इतना तो कर सकते हैं।

         पारुल शर्मा

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