Categories: गीत
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कविता – बरखा तुम आओ
कविता – बरखा तुम आओ मिटे जलन तपन गर्मी बरस तुम जाओ | मनाए हम उत्सव तेरा बरखा तुम आओ | तप रहे खेत ताल…
मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
बरखा
बरखा जरा प्यार बरसा दे कब से प्यासा अंतर है तू प्यास बुझा दे बरखा जरा प्यार बरसा दे बरस बरस बरखा मेरी कितने तुमको…
बरखा की फुहार
तपती धरती पर पड़े, जब बरखा की फुहार, सोंधी सुगन्ध से महके धरती, ठंडी चले बयार। मयूर नाचे झूम – झूम कर, बुलबुल राग सुनाए,…
सूखी धरती सूना आसमान
सूखी धरती सूना आसमान, सूने-सूने किसानों के अरमान, सूख गयी है डाली-डाली , खेतों में नहीं हरियाली, खग-विहग या हो माली, कर रहे घरों को…
Uttam