Categories: शेर-ओ-शायरी
Panna
Panna.....Ek Khayal...Pathraya Sa!
Related Articles
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया है
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया ग्रह के गर्भ में लिपटा हैं बादलों में छुप छुप कर बैठा हैं डरा सहमा सा यह दिखता…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
आखिरी मुलाकात
रात भर होंठों पर मुस्कान, भोर से ही सीने में गुलों का खिलना था बात कोई नई न थी, बस इस शाम अपने हमदर्द से…
माँ मुझे चाँद की कटोरी में
कितना नादान था वह बचपन जब… माँ मुझे चाँद की कटोरी में खिलाती थी… मैं खाना खाने में नखरे हजार दिखाती थी… पर माँ चाँदनी…
ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति पन्ना जी ….
dhanyabaad
🙂
Vaah vaah , noordaar ahasaas bahut man bhaayaa …! (Y)
dhanyabaad 🙂
Rukhsaron ke khair nehi ..Panna Jee ..kya iraada hai… nice one …lovely