वो कहता था,
वो कहता था ,की सोनिये तेरी आंखां तो काजल जच्चदा सी, फेर मैंने वी पूछ लिया मुझे क्यों रुला कर तू चला गया।
मैंने पूछा क्यों चूम जाते हो होंठो को यूँ तुम,
वो मरजाना कह पड़ा तेरे होंठो पर लाली जो नही जचदि।
मुझे कहता था, तेरी पायल सांस निकाल जाती हैं,तुझसे मिलने पर मजबूर कर जाती है,
आज थक गयी में पायल छनका कर,पर आया नहीं तू सुबह से शाम हो गयी।
मेरी चूड़ी की खनखन तुझे सताती थी,तुझे हर पल बेचैन कर जाती थी,तूने ही कहा था ना
फिर आज क्यों मेरी कलाई सूनी कर गया,
तुझे पता था ना,मैं तेरे बिना डर जाती हूं,एक पल भी तेरे बिना ना रह पाती हूँ।
क्यों उम्र भर की जुदाई दे गया,
मुझे इतनी भीड़ में अकेला छोड़ गया,
कम से कम ये बता जाता की इंतज़ार करू या अपनी किस्मत पर ऐतबार,
उसी मोड़ पर रहूँ मैं,या तेरे याद में समां जऊँ
बता अब अकेले कहाँ जाओ मैं????
????????
My broken heart and your incomplete love defines us…..
लो और कर लो इश्क़ ….
मैं ना कहता था कि ये दर्द हैं मजा नहीं , एक सजा हैं नशा नहीं ..:)
हम अभी भी कहते है इश्क़ पाक साफ खुदा की रहमत है,
कर लो एक बार बरखुरदार,
आग और कांच जैसी सीरत है।
ये लो..इश्क़ में जल कर भी वो इश्क़ को खुदा कहते है
जहर पी कर भी इसे वो जाम कहते है
किस कदर इश्क़ की बीमारी छायी है मैडम,
कि जख्म खाकर भी इसे मर्ज की दवा कहते है ।
लेकिन अच्छा लिखा है… ये जो हिंदी और पंजाबी के सम्बन्ध मजबूत करने की कोशिश की है ना आपने , वो काबिल-ए-तारीफ है …;):)
वाह
Good
Nice