विषम

चन्दन का वन हो,
प्यारा मधुबन हो

विष धार ,न विषम हों
श्रष्टि में सम हों

चन्दन सा वन हो
प्यारा मधुबन हो

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

फूल

मैं फूल हूँ ,कांटे मेरी राह में चन्दन हूँ , विष धार मेरी छाओं में -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

माँ

माँ न होती, तो यह श्रष्टि न होती पृथ्वी है माँ, प्राण है माँ उचित अनुचित की , द्रष्टि है माँ -विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)-

सावन

अम्बर बरसे धरती भींगे नाचे श्रष्टि सारी सावन की बरखा प्यारी -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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