विजय मिली विश्राम न समझो

ओ विप्लव के थके साथियों
विजय मिली विश्राम न समझो
उदित प्रभात हुआ फिर भी छाई चारों ओर उदासी
ऊपर मेघ भरे बैठे हैं किंतु धरा प्यासी की प्यासी
जब तक सुख के स्वप्न अधूरे
पूरा अपना काम न समझो
विजय मिली विश्राम न समझो

पद-लोलुपता और त्याग का एकाकार नहीं होने का
दो नावों पर पग धरने से सागर पार नहीं होने का
युगारंभ के प्रथम चरण की
गतिविधि को परिणाम न समझो
विजय मिली विश्राम न समझो

तुमने वज्र प्रहार किया था पराधीनता की छाती पर
देखो आँच न आने पाए जन जन की सौंपी थाती पर
समर शेष है सजग देश है
सचमुच युद्ध विराम न समझो
विजय मिली विश्राम न समझो

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

मिनी पेट्रोल पंप

मिनी पैट्रोल पम्प समर अपनी नयी बाइक से फर्राटे भरते हुये घर से निकला।वह अपनी किराने की दुकान का सामान लेने लालपुर जा रहा था।रास्ते…

जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)

वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close