Categories: मुक्तक
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निर्झर झरता गीत
यह गीत धरा का धैर्य गर्व है, नील–गगन का यह गीत झरा निर्झर-सा मेरे; प्यासे मन का …. यह गीत सु—वासित् : चंदन–वन…
हवा
वसंती आयी वसंती आयी देखो देखो वसंती आयी साथ में हरियाली लायी फूलों की महक लायी भौरो को संग लेकर आयी ओंस की बूदो को…
‘बाबू जी की टूटी कुर्सी’
बाबू जी की टूटी कुर्सी चरमर-चरमर करती है जब बैठो उस कुर्सी पर डाल की तरह लचकती है बाबू जी उस कुर्सी पर बैठ के…
सोना बाबू
सोना बाबू बड़े smart हो, लगते बड़े dashing हो | smile पर वो सोना के मरती थी, heart beat है उसकी यह सबसे कहती थी…
मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
वाह