लम्हे

अगर लम्हों की क़ीमत जान जाएँ
हर इक लम्हे में पोशीदा सदी है

Related Articles

हम उन लम्हों

हम उन लम्हों की याद को जेहन में यु संजोये बैठे है रहकर भी दूर जैसे आँखों में बसता है कोई उन लम्हों की सांसें…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

लम्हे

लम्हें —– कुछ गहरे घाव से दुखते होंगे, कुछ गहरे तंज जो आज भी चुभते होंगे। कुछ वक्त के मरहम से भर चुके होंगे, कुछ…

Responses

+

New Report

Close