रब  तो  वाकई  सबके  दिलों  में……..

रब  तो  वाकई   सबके  दिलों   में  बसता  सम  है।

लेकिन  उसे  पहचानने  वाला  इंसान  बड़ा कम है।

 

तुम  मेरे  चेहरे  की   इस  मुस्कान  पे   मत  जाओ

इसके  पीछे  छिपा   जाने  कितना  बड़ा  गम  है।

 

चाहे  अपना   चाहे   पराया   मतलब  अगर     हो

तो   किसीके   मरने  का  भी   किसे   यहां  गम  है।

 

आधुनिक तरक्की को तरक्की कहना मुनासिफ नहीं

अरे इस रोशनी की आड़ में छिपा बड़ा गहरा तम है।

 

ये  तलब  तब  बन  जाती  है   परेशानी  का  सबब

जब  जितना भी  लिख दूँ  लेकिन  लगे  ज़रा कम है।

 

समझने  की   बात  अगर  तुम   सच  में  समझ  गए

तो   फिर  कहोगे  कि  बंदे में  वाकई  बड़ा  दम है।

                                                                        कुमार बन्टी

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