रंगीन दुनिया में अब बस लहू नजर आता है

न चिराग नजर आता है, ना आफ़ताब नजर आता है

भीड है चारों तरफ़ मगर, ना कोई इंसान नजर आता है

रंगो की ख्वाहिश थी इस दिल को दुनिया मे बिखेरने क़ि

क्या करे रंगीन दुनिया में अब बस लहू नजर आता है

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