यह दृश्य

पर्वत से भाल,
नदियों की चाल
ये तरु विशाल,
मन मेरे बसे हैं

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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पर्वत

ऊँचे ऊँचे पर्वत , पर्वत पर ये रास्ते किसने बनाये ये सब, और बनाये किसके वास्ते -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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