मुक्तक

जी रहा हूँ मैं तो अश्कों को पीते-पीते!
जी रहा हूँ मैं तो जख्मों को सीते-सीते!
खोया हुआ सा रहता हूँ चाहत में तेरी,
मर रहा हूँ मैं तो यादों में जीते-जीते!

मुक्तककार – #मिथिलेश_राय

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