मुक्तक

तेरी सूरत के अभी दिवाने बहुत से हैं!
तेरी अदा के अभी अफसाने बहुत से हैं!
तस्वीरे-अंजाम को मिटाऊँ किसतरह?
जख्मों के निशान अभी पुराने बहुत से हैं!

#महादेव_की_कविताऐं'(25)

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