मित्रता
*प्रातः अभिवादन*
सुवह सुवह जो मित्रता की
ना महक आये ।
जिंदगी व्यर्थ में , दिन -रात सी
चली जाये ।
चंद लमहे ही सही ,दोस्तों के
बीच जियें ,
जिंदगानी की कहानी नयी
लिखी जाये ।
…… . जानकी प्रसाद विवश
प्यारे मित्रो ,
मुसकराओ , दोस्ती के महकते
गुलाबों का साथ निभाओ ।
…… सपरिवारसहर्ष सवेरे की मंगलकामनाएँ स्वीकार करें ।
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश
nice
Waah
Superb