बारिश हो रही है
बारिश हो रही है
तुम बार-बार देखती हो आकाश
चमकती हुई बिजली को देखकर
चिहुँक उठती हो
जितने भूरे-भूरे काले-काले
बादल हैं आकाश में
ये समुन्दर का पानी पीकर
धरती के ऊपर हाथी की सूंड़
की तरह झुके हुए हैं
ख़ूब बारिश हो रही है
तुम्हें बारिश अच्छी लगती
है न प्रिये
वे तुम्हारे अच्छे दिन होते हैं
जब बारिश होती है
तुम्हें कालेज नहीं जाना पड़ता
तुम अपने खाली फ्रेम पर
काढ़ती हो स्वप्न
अनगिनत कल्पनाओं में
खो जाती हो
कितना कठिन आकाश है
तुम्हारे ऊपर
जिसमें जगमगा रहे हैं तारे
तुम्हारे हाथ इतने लम्बे नहीं
कि तुम उन्हें तोड़ सको
कुछ उमड़ते हुए बादल
मैंने तुम्हारी आँखों में
देखे हैं
जिस दिन वे बरसेंगे
सारी दुनिया भीग जाएगी
अतिसुन्दर …
thanks 🙂
wah.. bahut khoob likha aapne. khaskar ..
कुछ उमड़ते हुए बादल
मैंने तुम्हारी आँखों में
देखे हैं
जिस दिन वे बरसेंगे
सारी दुनिया भीग जाएगी
..impressive.
Thank u Sonit ji …
bahut khoob
शुक्रिया जी
That’s a weulothought–lt answer to a challenging question
nice poem 🙂
Good
वाह बहुत सुंदर रचना
सुन्दर