Categories: शेर-ओ-शायरी
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
यादें
बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…
आहुति
आहुति ——– अम्मा! तुमसे कहनी एक बात.. कैसे चलीं तुम? बाबूजी से दो कदम पीछे… या चलीं साथ। कैसे रख पाती थीं तुम बाबूजी को…
मोहब्बतें इकरार कर ना सके
मोहब्बतें -इकरार कर ना सके हम हाले दिल बयां उनको कर ना सके वो आए थे हमारे गलियों में हम दरवाजा भी उस वक्त खोल…
नवसंवत्सर को नज़राना
फाल्गुन की ब्यार में, कोयल की थी कूक गिरते हुए पत्तों की सरसराहट उर में उठाती थी हूक॥ जीवंत हो उठी झंझाएँ मानो कुछ कहती…
वाह
Bhai apkey fan ban gaye
जी Thanks