बदलते रहते हैं ज़ुबा लोग पल दो पल में कई बार

बदलते रहते हैं ज़ुबा लोग पल दो पल में कई बार,
मगर एक चेहरा बदलने में मुकम्मल वक्त लगता है,
छुपाने से छिप जाते हैं राज़ सिरहाने में कई बार,
मगर झूठ से पर्दे उठ जाने में ज़रा सा वक्त लगता है॥

– राही (अंजाना)

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close