Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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“पृथ्वी दिवस”
पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) स्पेशल ——————————– इन दो हाथों के बीच में पृथ्वी निश्चित ही मुसकाती है पर यथार्थ में वसुंधरा यह सिसक-सिसक रह जाती…
आओ पृथ्वी दिवस मनाऍं
अन्न एवम् जल प्रदान करने वाली, वसुन्धरा को नमन्। पृथ्वी के संरक्षण हेतु, आओ उठाऍं कुछ कदम। पृथ्वी पर पवन हो रही अशुद्ध, आओ वृक्ष…
मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
देव-पुत्र
हे वेद-पुत्र,हे देव-पुत्र सुचि संकल्प निराले हे वसुधा के प्यारे है विपदा भारी जहाँ बने अबिलम्ब सहारे बिगड़े काज बना दे सुचि संकल्प निराले -विनीता…
धरा माँ है हमारी
धरा माँ है हमारी पालती है पोसती है, इसी में जिंदगी सारे सुखों को भोगती है। अन्न रस पहली जरूरत है हमारी जिंदगी की, वायु-जल…
Bhut sundar
Bhut achcha
धन्यवाद
dhanyawad