Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
करो परिश्रम ——
करो परिश्रम कठिनाई से, जब तक पास तुम्हारे तन है । लहरों से तुम हार मत मानो, ये बात सीखो त जब मँक्षियारा नाव चलाता,…
Khud ki khoj tu kar le bande
खुद की खोज तू करले बंदे, खुद में ही तू पाएगा उसे, उस उस ईश्वर को याद तू कर ले बंदे, खुद में ही तू…
मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
मेरे भारत के युवक जाग
मेरे भारत के युवक जाग आलस्य त्याग, उठ जाग जाग तेरी मंजिल कुछ पाना है, पाने तक चलते जाना है। सोने को तो रात बहुत…
वाह
Wahh
Thanks
Bhut sundar
Thanks
Bhut khub
Bha
Bhaa kyabat hai
Bhaa khub likha hai
Kya bat hai
धन्यवाद