Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
rajesh arman
हर निभाने के दस्तूर क़र्ज़ है मुझ पे
गोया रसीद पे किया कोई दस्तखत हूँ मैं
राजेश'अरमान '
Related Articles
चलो पतंग उड़ाएं
चलो पतंग उड़ाएं लूट लें, काट लें पतंग उनकी सभी रंगीनियां अपनी बनायें चलो पतंग उड़ाएं चलो पतंग उड़ाएं। उनके चेहरे की खुशियों को चुराकर…
मकर संक्रांति : आसमान का मौसम बदला
आसमान का मौसम बदला बिखर गई चहुँओर पतंग। इंद्रधनुष जैसी सतरंगी नील गगन की मोर पतंग। मुक्त भाव से उड़ती ऊपर लगती है चितचोर पतंग।…
मकर संक्रान्ति
जैसे जैसे मकर संक्रान्ति के दिन करीब आते हैं हर जगह पतंग! हर जगह पतंग! ये कागज की पतंगें बहुत आनंद देती हैं नीले आसमान…
रिश्तें आसमा में उड़ती
रिश्तें आसमा में उड़ती पतंग की तरह है जिसे लूटने के लिए दुनिया खड़ी है राजेश’अरमान’
भोजपुरी होली गीत 3-मस्त फागुन |
भोजपुरी होली गीत 3-मस्त फागुन | आया है मस्त फागुन उड़ती है तेरी चुनरिया | सर सर बहती है मह मह महकति है हवा |…
Good
वाह