नज़र ..
प्रेम होता दिलों से है फंसती नज़र ,
एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र,
जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र,
फिर तुम्हारी नज़र और हमारी नज़र,
बन गयी एक नज़र, हो गयी एक नज़र.
ये तुम्हारी नज़र या हमारी नज़र,
ये हमारी नज़र या तुम्हरी नज़र .
बस तुम्हारी नज़र , बस हमारी नज़र,
न तुम्हारी नज़र न हमारी नज़र ,
मैं तुम्हारी नज़र , तुम हमारी नज़र ,
देखता हु जिधर तू ही आये नज़र ,
है ये कैसी नज़र ,है ये जैसी नज़र,
या है मेरी नज़र या तुम्हारी नज़र ,
ये तुम्हारी नज़र में हमारी नज़र ,
ये हमारी नज़र में तुम्हारी नज़र ,
जो है मेरी नज़र , वो है तेरी नज़र ,
जो है तेरी नज़र ,वो है मेरी नज़र,
देख तुम एक नज़र , देखूं मैं एक नज़र,
प्रेम होता दिलों से है फंसती नज़र..
नज़रों का खेल अनोखा है,
फिर भी इसमें धोखा है..
फिर तुम्हारी नज़र न हमारी नज़र …
…atr
ek najar jo padi, in alfaazo ke nazaro pe
savar gayi najar meri, dhal gayi alfaazo me.. nice!
haha …. thanks .. 😀
so nice and beautiful
dhanyavad .. dost.
love to read your poems..
its plzr fr my poems to be loved … 🙂
Good
वाह वाह
बहुत खूब