नूर हो तुम आफताब हो तुम
✍?(अंदाज) ?✍
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नूर हो तुम आफताब हो तुम
लहर हो तुम लाजवाब हो तुम
मेरे चाहते दिल की तमन्ना जवाॅ
दिलकश गजब शबाब हो तुम
जिसे समझा मैने दिल से अपना
मुक्कमबल सच्चा ख्वाब हो तुम
देख कर चढता है नशा मुझमे
दिलकश नशीली शराब हो तुम
हर दिन पल तुझको पढता हूं मै
सुकून भरी मेरी किताब हो तुम
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श्याम दास महंत
घरघोडा
जिला-रायगढ (छग)
✍??????✍
(दिनांक -25-04-2018)
Waah
Good