दुआ ली हमने
रोग जाता ही नहीं कितनी दवा ली हमने |
माँ के क़दमों में झुके और दुआ ली हमने |
इस ज़माने ने सताया भी बहुत है मुझको |
आग ये सीने की अश्कों से बुझा ली हमने |
जब नजर आई नहीं ख्वाब में ‘ माँ की सूरत |
अपनी आंखों से हर इक नींद हटा ली हमनें |
देखने तो आज सभी आये तमाशा मेरा |
जब से दीवार घरों में ही उठा ली हमने |
तेरी चाहत में हुआ हाल ‘ दिवानों जैसा |
अपनी पगड़ी ही सरे आम उछाली हमनें |
हर तरफ ही यूं नजर आने लगी उल्फ़त जब |
दिल में नफरत थी मुहब्बत ही सजा ली हमने |
खत्म हो जाये न ये दौर मुलाकातों का |
ज़िंदगी बस तेरे वादे पे बिता दी हमने |
माँ के क़दमों में ये सारा ही जहां दिखता है |
बस तेरी याद में हस्ती भी मिटा ली हमने |
खौफ था मुझको चरागों से ही घर जलने का |
आग ‘ अरविन्द ‘ घरों में ही लगा ली हमने |
❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
Waaah
nice one
Wow