दिल को मेरे जलाया होगा “रहस्य “देवरिया
जिस्म को मेरे जलाये होंगे “रहस्य”देवरिया
दर्द कितने खुद में हमने छुपाये होंगे ,
तूने जब दिल को मेरे जलाया होगा ,
ये रूह मायूस बेबस होकर तूझ से ,
जब तन्हाई में खुद को छुपाया होगा ,
मेरा साया तेरे कदमों से लिपट कर ,
कितना तेरे आगे वो रोया होगा ,
मासूम सा दिखने वाला कातील मेरा ,
कैसे गुनाहो को अपने छुड़ाया होगा ,
दर्द कितना खुद में हमने छुपाया होगा /
” रहस्य ” देवरिया
वाह बहुत सुंदर रचना
Good