तिरंगा।

तिरंगा।

वस्त्र का टुकडा़नहीं, अस्मिता का मान है।

ये तिरंगा विश्व में निज गर्व की पहचान है।

केसरी ये रंग पराक्रम शौर्य है स्वाभिमान है।

श्वेत वर्णी शान्ति की ये साधना का ध्यान है।

ये हरित समृद्धि पट्टी ऐश्वर्य का परिधान है।

और चक्र नीला चौबीस घंटे  कराता ज्ञान है।

दिलों से ऊंचा सदा ही स्थान इसको चाहिए।

ये सुरक्षा चादरीबाहों से न नीचा होना चाहिए।

नीचे न झुक जाए येे सूचक बने अपमान का।

शीश पर धारे फिरो ये मुकट है स्वाभिमान का

समृद्धि शाली देश की वैभव उगलती खान है।मां

मांभारती नस नस में रक्त बनकर दौड़ती रहे।

चिक्कार वीरों की सुन रिपु सांस तो  थमती रहे।

इसकी रक्षा में छिपा हर भारतीय का कल्याण है।कपड़े का पट्टा नहीं, मुश्किल ही इसका बखान है।

सरोज दुबे

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