तलबगार है कई

तलबगार है कई पर
मतलब से मिलते हैं
ये वो फूल हैं जो सिर्फ
मतलबी मौसम में खिलते हैं
रोक लगाती है दुनिया
तमाम इन पर पर
देखो मान ये इश्कबाज पक्के
जो पाबंदियों में भी मिलते हैं
मोहब्बत के रोगी को दुनिया
बेहद बदनाम ये करती है
जनाब क्यों फिर भी आधी दुनिया
हाए इसी पे मरती है
कहते हैं कई धोखेबाज भी
लेन-देन दिल का करते हैं ।।
तभी तो हम इस प्यारी दरिया में
कूदने से डरते हैं
शक-ए-निगाह दुनिया अपनी
हम पर भी टेढी रखती है
हम भी आहिस्ता कम्बख्त
हाल-ए-दिल बयां कर देते हैं

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