जवानी हाय इठलाने लगी है
जवानी हाय इठलाने लगी है
जुबां पे आह सी आने लगी है
हमारी चाह भडका के अदाये
तुफानी प्रीत भडकाने लगी है
उठी है प्रीति अंग-अंग मे नशीली
खिला के राग चहकाने लगी है
हया ऊठा के रग-रग मे सदायें
नवेली रीति दे जाने लगी है
नई आहे दिखा के जोश लावे
तुफां ताने जुबां पे गाने लगी हैं
✍ श्याम दास महंत✍
(दिनांक 19-06-2028)
Asm post Sir
Waah