Categories: छत्तीसगढ़ी कविता
ओमप्रकाश चंदेल
कविता, गीत, कहानी लेखन
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मैं छत्तीसगढ़ बोल रहा हूँ
मै चंदुलाल का तन हूँ। मैं खुब चंद का मन हूँ। मैं गुरु घांसी का धर्मक्षेत्र हूँ। मैं मिनी माता का कर्म क्षेत्र हूँ।। मैं…
मोर रंग दे बसंती चोला, दाई रंग दे बसंती चोला
ये माटी के खातिर होगे, वीर नारायण बलिदानी जी। ये माटी के खातिर मिट गे , गुर बालक दास ज्ञानी जी॥ आज उही माटी ह…
कि तुम याद आ गयी
आज सोच रहा था कोई कविता लिखू पर कैसे ये सोच ही रहा था की तुम याद आ गयी नयन अदृश्य कामना में लीन हो…
छत्तीसगढ़ के घायल मन की पीड़ा कहने आया हूँ।
मैं किसी सियासत का समर्थन नहीं करता हूँ। भ्रष्टाचार के सम्मुख मैं समर्पण नहीं करता हूँ॥ सरकारी बंदिस को मैं स्वीकार नहीं करता हूँ। राजनीति…
जब दो दिन का फेरा
पिंजर बनना तय हम सबका, क्यों लालच में अंधा रें! प्रेम दया से जी ले रे बंदे जग दो दिन का फेरा रे। जाएगा जब…
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धन्यवाद आदरणीया
वाह
वोव
Wow
वाह