घर मेरा तुम्हें हवादार नहीं लगता।
घर मेरा तुम्हें हवादार नहीं
लगता।
मैने हकीकत कही तुम्हें असरदार
नहीं लगता।।
,
कि कशती कहीं डूब न जाए सफर
में मेरी।
तुम दुआ करो तूफान मेरा तरफदार
नहीं लगता।।
,
शक्ल से कहा हो पाएगा तुम्हें कुछ
अंदाजा।
मुसकुराता रहा हूँ जख्म है,पर बिमार
नहीं लगता।।
,
और ढूँढना पड़ता है जिंदगी में इक
इक लमहा।
सच है कि खुशियों का कहीं बाजार
नहीं लगता।।
,
वैसे तो खबरों की कोई कमी नहीं है
इनमें।
मगर क्या कहे साहिल ये अखबार
नहीं लगता।।
@@@@RK@@@@
nice
Thanks
osm
Thanks
उम्दा
वाह
Nice