गुणों की महक
प्रातः अभिवादन
“**गुणों की महक”**
***?**?**??
गुणों के गुलों की महक गुदगुदाए ,
गुणों की महक ,जिंदगी महक जाए।
लगाएँ नयी पौध नित , सदगुणों की ,
वसंत आए ,आकर कभी भी न जाए।
******जानकी प्रसाद विवश ******
सभी प्यारे मित्रों को ,
गुणी सवेरे की ,
प्यार भरी शुभकामनाएँ…।
सपरिवारसहर्ष स्वीकार कर
अनुगृहीत करें ।
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश
Subh Prabhat
Superb