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ख़त

यादों की गलियाँ सजी हैं, कुछ झालरें,पुराने दिनों की लगीं हैं, कुछ रंगी से दिन हैं बिछे, कुछ रेशमी रातों के पीछे। मेरी खिङकी के…

ख़त

गुज़रा ज़माना याद दिलाता है ख़त। अब बीता ज़माना कहलाता है ख़त। रूठे को मनाना, हाले-दिल बताना, अपनों को अपना बनाता है ख़त। ना हुई…

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