क्रांतियुवा
खल्क ये खुदगर्ज़ होती।
आरही नज़र मुझे।।
इंकलाब आयेगा ना अब।
ये डर सताता अक्सर मुझे।।
अशफ़ाक़ की,बिस्मिल की बातें।
याद कब तक आएँगी।।
शायद जब चेहरे पे तेरे।
झुर्रियां पड़ जाएँगी।।
क्या भूल गए हो उस भगत को।
जान जिसने लुटाई थी।।
तेईस में कर तन निछावर।
दीवानगी दिखाई थी।।
वीरता के रास्तों से
आज़ादी घर पर आई थी।
बेड़ियों के निशां थे सर पर
और खून में नहाईं थी।।
आज सूरज वीरता का।
बादलों में गुम है।।
आधुनिक समय का युवा निक्कट्ठु।
निहायती मासूम है।।
इंक़लाबी बन चुकी है।
एक लद इतिहास का।।
जुगाड़ ही सर्वोपरि है।
सत्य यही है आज का।।
आसमा से क्रांतिकारी।
झांकते होंगे यहाँ।।
देखते होंगे के मुल्क हमरा।
आज तक पहुंचा कहाँ।।
देखते के हर कोई।
राजनीति कर रहा।।
देश पे कोई क्या मरेगा।
अब देश अपना मर रहा।।
आज़ाद सा कोई नहीं है।
सब भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।।
सुखदेव जैसे युवा तो यहां।
चूर नशे में,विक्षिप्त हैं।।
आज़ाद सारे भारतीय।
मज़हबों में कैद हैं।।
दूसरों से क्या लड़ेंगे।
आपस में धोखे-फरेब हैं।।
माँ भारती के बाशिंदों सुन लो।
ये देश ही एक धर्म है।।
उत्थान करना है इसी का।
सर्वोपरि यह कर्म है।।
हिंदू-मुस्लिम,सिख-ईसाई।
सब राष्ट्र की बिसात हैं।।
ये जो आज़ादी मिली है।
ये क्रांति की सौगात है।।
क्रांतिकारी वीर सारे।
लड़ गए और मर गए।।
देश को गौरव दिलाकर।
स्वयं फांसी चड़ गए।।
बन सको तो बनो ऐसा।
के साथ में हो हिम्मतें।।
लड़ाई अपनी खुद लड़ो।
ना करो अब मिन्नतें।।
क्रांतिवीर ना सही।
सबल,प्रबल बन जाओ तुम।।
ढूँढो भीतर के भगत को।
युवा असल बन जाओ तुम।।
Nice
जय हिंद