कुछ न कुछ टूटने का सिलसिला आज भी ज़ारी है
कुछ न कुछ टूटने का सिलसिला आज भी ज़ारी है
इस दुनिया का डर प्यार पे आज भी भारी है।।
टूटकर बिखरना, बिखरकर समिटना आज भी जारी है,
पर पड़ जाए ना दरार इस बात का डर आज भी भारी है।
झुकना गिरना हवाओं के झोंकों से आज भी जारी है,
टूट कर ना उखड़ जाऊं इस बात का डर आज भी भारी है,
कहना, सुनना, लड़ना, झगड़ना उनसे आज भी जारी है,
खामोश ना हो जाए वो कहीं इस बात का डर आज भी भारी है॥
बहुत कुछ कर गुजरने की कश्मकश आज भी जारी है,
पर ये वक्त का पहिया मेरी हर कश्मकश पर भारी है,
उड़ कर आकाश छू लेने की मेरी कोशिश आज भी जारी है,
पर लोगों की टांग खींच कर गिराने की कला आज भी भारी है॥
राही
nice thought
Thanks
Waah
Thank you
Waah
Thank you
Good