किसान
कितनी भी धूप हो, कितनी भी ठण्ड हो
काम पर अपने लगे ही रहते
दिन हो या रात हो,सुबह हो शाम हो
खेत पर हल को, चलाते ही रहते
हर एक बीज को प्यार से सींचते
हर पल उनकी देखरेख करते
बारिश न हो तो बूँद को तरसते
ईश्वर से फिर प्रार्थना करते
अपने बच्चों के पेट को ही न सिर्फ
दुनिया जहान के पेट को भरते
कभी न रुकते कभी न भटकते
कठिन परिश्रम वो हर पल करते।।
Very nice
sunder poem
Thank u
Very nice
Thank u sir
Very good
Waah
वाह बहुत सुंदर