कहानी – हर साल की

जनवरी आता है , नयी उम्मीदों को पंख लगाता है,
फरवरी फर्र फर्र न जाने कब बीत जाता है ,
मार्च सुहाना मौसम लेकर आता है,
उम्मीदों को परवाज देते देते पहला तिमाही गुजर जाता है।

अप्रैल में चहुँओर फूल खिल जाते है ,
मई में सूरज देवता आग बरसाते है ,
जून का महीना पसीना पोछने में बीत जाता है,
आधा साल यूँ ही रीत जाता है।

जुलाई में रिमझिम मानसून बरसता है ,
अगस्त में नदी – नालो में उफान होता है ,
सितम्बर नयी अंगड़ाई लाता है ,
साल के नौ महीने बीत गए – धीरे से कहता है।

अक्टूबर में पेड़ो के पत्ते साख से झड़ जाते है ,
नवंबर में त्यौहार शुरू हो जाते है ,
दिसम्बर फिर सर्द हो जाता है ,
एक साल यूँ ही बीत जाता है।

हर साल कुछ दे जाता है ,
हर साल कुछ ले जाता है ,
समय का चक्र है ,
वक्त का पहिया चलता जाता है।

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