कविता
ऐ चाँदनी रीतें तुम__
युँ ही एैसे ही रहना।
टिमटिमातें -जगमगीतें,
झिलमिल सपना तुम लाना।
हलकी – हलकी, शीतल – शीतल,
पुरवाईयों का तुम संग बहना।
इक चॉह जगा देती है……,
सागर मे हो पानी जीतना।
महकी-महकी अधखीली कलियों संग,
रातों मे तुम-का बातें करना।
सुमनों का खुशबु बिखरीना।
और कहना है फुलो का,
तुमसा नही कोई जग मे,
तुम अम्बर का हो गहना।
एै चाँदनी रातें……एैसे ही रहना।
सुंदर रचना
धन्यबाद जी
वाह
Good