कविता

मस्जिदों में काश की भगवान हो जायें
मंदिरों में या खुदा आजान हो जाये !
ईद में मिल के गले होली मना लेते
काश दिवाली में भी रमजान हो जाये !!
बाअदब मतिहीन मिलते मौलवी साहब
पूरोहित पंडित का भी सम्मान हो जाये
जुर्मकारी को जेहादों को दफन कर दें
इंसा अल्ला ये पुरा अरमान हो जाये ||
उपाध्याय…

Related Articles

गजल

मस्जिदों में काश की भगवान हो जायें मंदिरों में या खुदा आजान हो जाये ! ईद में मिल के गले होली मना लेते काश दिवाली…

Ehasaas

काश कि हर इंसा को होता, किसी की भूख का एहसास काश कि हर इंसा को होता, अपमान की तकलीफ़ का एहसास काश कि हर…

Responses

+

New Report

Close