एक ख़्याल सा

याद के दरमियाँ हम मिलेंगे कभी,
फूल गुलशन में भी तो खिलेंगे कभी।

शक़ मेरे इश्क़ पे मत करो साथियाँ,
खत तुम्हें खून से हम लिखेंगे कभी।

आज तो दौर है मुफ़लिसी का मग़र,
चाँद तारे मेरे सँग चलेंगे कभी।

ज़िन्दगी ने किए सौ सितम गम नहीं,
है यकीं ग़म हमारे जलेंगे कभी।

छोड़कर जो गए वो अजीजों में थे,
हाथ अपना बेचारे मलेंगे कभी।

हो रहा है असर अब दुआ का मेरी,
ख़्वाब आँखों में उसके पलेंगे कभी।

हुस्न उसका नहीं है बतौरे बयाँ,
जिद मेरी है गज़ल हम लिखेंगे कभी।

जो गुज़र जाते हैं आज नजरें बचा,
दर पे काफ़िर तेरे वो रुकेंगे कभी।

#काफ़िर

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. हुस्न उसका नहीं है बतौरे बयाँ,
    जिद मेरी है गज़ल हम लिखेंगे कभी।

    laajwab likhaa bhai behd hi umdaa bahut hi khuoobsurt

+

New Report

Close