एक दोहा एक कुंडलिया

” दोहा और कुंडलिया ”
२१. १२२. २१२. ११. ११. ११२ १२
देखि मुखौटा चूतिया | फंसि मति जइयो जाय ||
२२ २२ २१ २ १११. १११ ११. १२
सीधे सादे वेश में | सठहि सहज मिलि जाय ||
१११ १११ ११ २१ २ ११२ २१ १२११
सठहि सहज मिलि जाय के सबके नाच नचावत |
११२. २. ११ २१ १. १ १११. २१ २. २११
फंसिहे जौ एक बार कि निकसत पार ना पावत ||
११. ११२१. ११२१. १२२ १२२. २११
कह मतिहीन कविराय फिरौती पईसा मांगत |
२१. १२१. ११. २१. २१ १२२. २११
जेहि सज्जन अति जान तेही मर्यादा लांघत ||
उपाध्याय…

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