**अमर गीत”**

**अमर गीत”**

आज कहीं भी नहीं उमड़ती
मन से ऐसी पीर ।
आज कहाँ ढूढें बतलाओ ,
पीड़ा की जागीर ।

जानकी प्रसाद विवश

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