ज़िन्दगी
पहली बार जब रोया तोह भूख और प्यास थी
दूसरी बार जब रोया स्कूल का पहला दिन था
तिसरी बार जब रोया तब स्कूल का आखरी दिन था
कॉलेज के दिन तोह रुलाने के थे दुसरो को
छोड़ो ना उस बात को
और मुझको लगता था सबसे ज्यादा गम तेरे छोड़ने का था
पढ़ जब सोचने और लिखने बैठा तोह देखा
यह एक मामूली घटना हैं जो तकरिबन सबके साथ हुआ हैं
हम ज़िन्दगी में भूल जाते हैं की तवज्जो किस बात को देना है
दोस्तों यह चंद लाइन बेहद निजी है
पढ़ सोचा यह बहुतों को जीने का ढंग बतलाता है
जो कहते है कि एक बार जो चीज़ गवाओ वो दूसरी बार नहीं मिलती गलत कहते है
ज़िन्दगी सतरंज की बिसात होती हैं
कुछ मोहरे पिटते और कुछ हमे जीता देते हैं
कुछ बाजियां हम हार कर भी जीतते है
Nice
Thanks
Very nice lines
Thanks