हरी रस

रसना है ,हरी रस के लिए
मत ,रसना ,मधु ,पान करो

रंग जा रसिया हरी रंग में
अंतर रस ,रस पान करो

-विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)-

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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

मधु

ये कैसी मृगतृष्णा है, जो न मिठे सदियों तक नज़रों तक आये मधु, आये न पर अधरों तक -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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